4/1/2023 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक सरसंघचालक के.बी. हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889Read Nowभारत मां के इस सपूत का जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर स्थित एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 13 साल की उम्र में प्लेग संक्रमण की वजह से केशव ने अपने माता-पिता को खो दिया था। लेकिन यहां से उनकी कहानी की शुरुआत नहीं होती है। उनकी कहानी की शुरुआत तो 1908 के बाद आरंभ होती है।डॉ केशव बलिराम हेडगेवार : खिलाफत आंदोलन, नमक सत्याग्रह में गए थे जेल वर्ष 1925 में विजयदशमी के दिन हुई थी संघ की स्थापना नमक आंदोलन में किसी भी संघ कार्यकर्ता को हिस्सा लेने से किया था 1933 में कांग्रेस कमेटी ने कांग्रेसियों को आरएसएस से दूरी बनाने को कहा हिंदू संस्कृति, हिंदुस्तान की धड़कन है। इसलिए ये साफ है कि अगर हिंदुस्तान की सुरक्षा करनी है तो पहले हमें हिंदू संस्कृति को संवारना होगा। आरएसएस की वेबसाइट में दृष्टि और दर्शन के अंतर्गत लिखा गया यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डाॅ. केशव बलिराम हेडगेवार का है। इस वजह से हो गए थे स्कूल से बर्खास्त
1908 के आस-पास की बात है। केशव पुणे में स्थित हाई स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे। एक दिन उन्होंने वंदेमातरम गाना गाया और इस वजह से उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया।
क्योंकि उस दौरान वंदेमातरम गाना ब्रिटिश सरकार के सर्कुलर का उल्लंघन माना जाता था। इसके बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और 1915 में वो डॉक्टर के रूप में नागपुर लौटे। लोकमान्य तिलक से प्रभावित होकर कांग्रेस के आंदोलन में लिया हिस्सा
संघ के अनुसार, डॉक्टर बनने के पीछे केशव का उद्देश्य कभी भी शासकीय सेवा में प्रवेश लेना या अपना अस्पताल खोलकर पैसा कमाना नहीं था।
उनका तो एकमात्र ध्येय, भारत का स्वातंत्र्य ही था। अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्होंने लोकमान्य तिलक से प्रेरणा लेकर और प्रभावित होकर वर्ष 1916 में कांग्रेस के जन-आंदोलन से जुड़ गए। डॉ. हेडगेवार ने 1920 में नागपुर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन का पूरा जिम्मा संभाला था। इस वजह से ब्रिटिश सरकार ने हेडगेवार को दी थी सश्रम कारावास की सजा
तत्पश्चात डॉ हेडगेवार ने अंग्रेजों के खिलाफ उग्र भाषण देना शुरू किया। भाषण के दौरान जब उन्होंने, ‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और उसे मैं प्राप्त करके ही रहूंगा’, की घोषणा की तब जनमानस में चेतना की एक प्रबल लहर का निर्माण हुआ।
यह सब देखकर ब्रिटिश सरकार ने उनपर भाषणबंदी का नियम लागू कर दिया। किन्तु डॉक्टर ने उसे मानने से इनकार कर दिया और अपना भाषणक्रम चालू रखा। उनके इस बर्ताव पर अंग्रेजी सरकार ने मामला दर्ज कर एक वर्ष के लिए सश्रम कारावास की सजा दे दी। वर्ष 1925 में विजयदशमी के दिन ही हेडगेवार ने संघ की स्थापना की।
1930 में नमक सत्याग्रह से जुड़ गए थे और इस दौरान वे जेल भी गए थे।
नतीजतन साल 1933 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने प्रस्ताव पास कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आरएसएस, हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग के साथ कोई भी संबंध बनाने से मना कर दिया। 21 जून, 1940 को बीमारी के चलते डाॅ हेडगेवार का देहावसान हो गया।
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